MP news, महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना चढ़ी भ्रष्टाचार की भेंट, भ्रष्टाचार की जांच में भी हो जाता है भ्रष्टाचार।
MP news, महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना चढ़ी भ्रष्टाचार की भेंट, भ्रष्टाचार की जांच में भी हो जाता है भ्रष्टाचार।
मध्यप्रदेश सरकार द्वारा मनरेगा योजना को 2007 से लागू किया गया है, यह योजना मांग आधारित है, इस योजना का मुख्य उद्देश्य गरीब मजदूर वर्ग को पलायन करने से रोकना है, इस योजना में काम के जरूरत मंद ब्यक्ति को लिखित में काम करने के लिए आवेदन देना होगा, जिसमें ग्राम पंचायत सात दिवस मे काम देने के लिए मजबूर होना होगा, यदि ग्राम पंचायत सात दिवस के अंदर मजदूरों को कार्य देगें नहीं तो बोरोजगारी भत्ता देना पडता है दुर्भाग्य की बात है कि आज के समय मे मनरेगा को मजाक बना दिया गया है आज के समय मे जितने मस्टर रोल जारी किए जाते है उनमें एक भी मजदूर का नाम नहीं होता सभी मस्टर रोल मे केवल सरपंचों के सगे संबंधियों पूजीपतियों का नाम डाला जाता है।तथा उनके बैंक खाते में भेजी जाने वाली मजदूरी को अधिया बरे निकाल कर हजम कर लिया जाता है।
देखा जाए तो आज किसी भी पंचायत के मस्टर रोल की जांच अगर इमानदारी से कर ली जाय एक भी नाम मजदूरों के नहीं होते जिला पंचायत मे मनरेगा अधिकारी, जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, एपीओ मनरेगा, सब मिलकर मनरेगा का पास बर्ड जीआरयस को देकर खूब मनमानी भ्रष्टाचार कृत्य किए जाते है।रोजगार सहायक एक भी मस्टररोल की कांपी पंचायत सचिव को नहीं देते,जब कि इंजीनियर फर्जी मस्टररोल का जिसमें सचिवों का हस्ताक्षर तक नहीं कराया जाता उसका मूल्यांकन कर माप पुस्तिका मे दर्ज कर दिया जाता है, जिसका यदि कभी बसूली होती है तो अकेले सचिव से बसूली की जाती है।
वर्ष 2015 से आज तक मे अकेले रीवा जिले में मनरेगा योजना की राशि कूप खनन,पशु शेड, मेड़ बधान,आदि कार्यों में बिधिवत खर्च कर सी सी जारी कर दी गई लेकिन फिल्ड मे एक भी कूप या अन्य कार्य नहीं मिलेंगे तो वहीं जो काम आधा अधुरा किया भी जाता है मशीनों से होता है मजदूरों से नहीं जिसकी उच्चस्तरीय टेक्निकल अधिकारी से जांच कराकर सत्यता को परिलक्षित किया जा सकता है, मनरेगा योजना में होने वाले भ्रष्टाचार की शिकायत लगभग सभी पंचायतों की होती है लेकिन भ्रष्टाचार की जांच में भी भ्रष्टाचार हो जाता है।